म्यूचुअल फंड क्या है ? म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें? सबसे पहले तो मैं यह कहूंगा कि आप एक सही सवाल का जवाब खोज रहे हैं। निवेश की शुरुआत करने वालों के लिए म्यूचुअल फंड सबसे अच्छा और सबसे सरल उत्पाद है।
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Table of Content
- 0.1 म्यूचुअल फंड क्या है? (What is Mutual Funds in Hindi)
- 0.2 उपयुक्त श्रेणी का म्यूचुअल फंड कैसे चुनें?
- 0.3 म्यूचुअल फंड के रिटर्न की गणना कैसे करते हैं?
- 0.4 SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेन्ट प्लान) क्या है?
- 0.5 म्यूचुअल फंड के बारे में जानने लायक महत्वपूर्ण बात?
- 0.6 भारत में म्यूचुअल फंड में कौन निवेश कर सकता है?
- 0.7 इक्विटी फंड
- 0.8 डेट फंड
- 0.9 बैलेंस्ड फंड
- 0.10 इन्डेक्स फंड
- 0.11 फंड ऑफ फंड्स:
- 0.12 मनी मार्केट फंड/लिक्विड फंड
- 0.13 क्रेडिट फंड
- 0.14 टैक्स-सेविंग फंड
- 1 नए लोग म्यूचुअल फंड में कैसे करें निवेश?
म्यूचुअल फंड क्या है? (What is Mutual Funds in Hindi)
म्यूचुअल फंड बहुत से निवेशकों के योगदान से तैयार एक सामूहिक बचत कोष होता है। इस प्रकार बने इस साझा कोष को एक या अधिक वर्ग की परिसंपत्तियों जैसे इक्विटी, डेट (ऋण) और तरल परिसंपत्तियों आदि में निवेश किया जाता है। इसे ‘म्यूचुअल’ (पारस्परिक) फंड कहते हैं ।क्योंकि इस सामूहिक बचत कोष से संबंधित या इससे उत्पन्न सारे जोखिम, पुरस्कार, लाभ या हानि को सभी निवेशकों द्वारा उनके योगदानों के अनुपात में साझा किया जाता है।
म्यूचुअल फंड मूलतः एक प्रायोजक वाला एक न्यास (ट्रस्ट) होता है। ये सेबी (सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) में रजिस्टर्ड होते हैं जो फंड का प्रबंधन करने वाली एसेट मैनेजमेन्ट कम्पनी (AMC) को मंजूरी देता है। AMC न्यासियों (ट्रस्टियों) के दायरे में आती है जिन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि फंड विनियमों का अनुपालन करे।
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उपयुक्त श्रेणी का म्यूचुअल फंड कैसे चुनें?
आपका फंड का चयन आपकी जोखिम उठाने की क्षमता और अपेक्षित रिटर्न पर आधारित होना चाहिए। अगर आप अधिक रिटर्न के साथ अधिक जोखिम ले सकते हों, तो आप इक्विटी-आधारित फंड चुन सकते हैं, पर अगर आप जोखिम के साथ सहज नहीं हैं, तो कोई डेट फंड चुनें।
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म्यूचुअल फंड के रिटर्न की गणना कैसे करते हैं?
म्यूचुअल फंड के रिटर्न की गणना उसकी प्रचलित नैट एसेट वैल्यू (NAV) के आधार पर की जाती है। मान लें कि आपने जब रु 10,000 का निवेश किया तब फंड की एनएवी रु 10 थी और आपके पास 1,000 यूनिटें थीं। अगर एनएवी बढ़कर 12 हो जाती है तो आपका निवेश रु 10 हजार से बढ़कर रु 12 हजार हो जाएगा।
निवेश और रिटर्न:
• FD और RD की तुलना में म्यूचुअल फंड अधिक ब्याज दर प्रदान करते हैं
• दीर्घकाल में, म्यूचुअल फंड के रिटर्न 10% से 40% तक हो सकते हैं
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SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेन्ट प्लान) क्या है?
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेन्ट प्लान या SIP, म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने का एक समझदारी भरा और झंझट-मुक्त तरीका है। SIP से आप नियमित अंतराल (साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक आदि) पर एक निश्चित, पहले से तय धनराशि का निवेश कर सकते हैं। SIP निवेश की एक नियोजित पद्धति है और आपको बचत करने तथा भविष्य के लिए संपदा का सृजन करने की आदत अपनाने में मदद करती है।
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेन्ट प्लान की मदद से लोग नियमित आधार पर छोटी-छोटी धनराशियों का निवेश करके रुपये की लागत औसत करने (रुपी कॉस्ट एवरेजिंग) का लाभ उठा सकते हैं। यह उन लोगों के लिए एक विकल्प है जो एक साथ बड़ी रकम नहीं लगा सकते हैं, अतः यह विभिन्न आय स्तरों वाले निवेशकों के लिए एक आकर्षक उत्पाद है। म्यूचुअल फंड रु 500 जितना छोटा शुरुआती निवेश भी स्वीकार करते हैं।
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म्यूचुअल फंड के बारे में जानने लायक महत्वपूर्ण बात?
हर किसी को यह समझ लेना चाहिए कि आपके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न, बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है। आपको जोखिम बेहतर ढंग से न्यूनतम करने और अधिक रिटर्न पाने के लिए दीर्घकालिक सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेन्ट प्लान अपनाना चाहिए। समय-समय पर निवेश योजना की समीक्षा करना और उसके अनुसार बदलाव करना अच्छा रहता है।
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भारत में म्यूचुअल फंड में कौन निवेश कर सकता है?
म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के निवेशकों के लिए खुले हुए हैं। जिनमें निवासी व्यक्ति, NRI, PIO, HUF, कम्पनियां, साझेदारी प्रतिष्ठान, न्यास (ट्रस्ट), सहकारी समितियां, बैंकिंग एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान, रजिस्टर्ड FII, QFI आदि शामिल हैं। यह संपूर्ण सूची नहीं है पर इसमें भारत में म्यूचुअल फंड के सबसे आम प्रकार के निवेशक शामिल हैं।
म्यूचुअल फंड को उनकी परिपक्वता अवधि के आधार पर विभाजित किया जाता है:
- ओपन-एन्डेड फंड: कोई निश्चित परिपक्वता अवधि नहीं, आप किसी भी समय निवेश या निकासी कर सकते हैं
- क्लोज-एन्डेड फंड: अवधि निश्चित होती है और व्यक्ति निर्धारित अवधि में निवेश कर सकता है
- इन्टरवल फंड: ये ओपन और क्लोज एन्डेड फंड का संयोजन होते हैं।
भारत में उपलब्ध म्यूचुअल फंड के प्रकार निम्नवत हैं:
इक्विटी फंड
स्टॉक फंड या इक्विटी फंड वह फंड होता है जो स्टॉक, जिन्हें इक्विटी सिक्योरिटी भी कहते हैं, में निवेश करता है। स्टॉक फंड, बॉन्ड फंड और मनी फंड से अलग होते हैं। बॉन्ड, नोट्स या अन्य सिक्योरिटीज के विपरीत, इक्विटी फंड की आस्तियां मुख्यतः स्टॉक में होती हैं, थोड़ी राशि नकद में होती है जो काफी कम होती है।
डेट फंड
डेट फंड एक सामूहिक निवेश कोष होता है, जैसे कोई म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, जिसकी मुख्य होल्डिंग निश्चित आय निवेश में होती है। डेट फंड अल्पकालिक या दीर्घकालिक बॉन्ड, सिक्योरिटाइज्ड (प्रत्याभूत) उत्पादों, मनी मार्केट के उपक्रम या परिवर्ती दर वाले डेट (ऋण) में निवेश कर सकता है।
बैलेंस्ड फंड
बैलेंस्ड फंड ऐसे निवेशकों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं जो सुरक्षा, आय और मध्यम स्तर के पूंजी वर्धन के मिश्रण की तलाश में हैं। इस प्रकार के म्यूचुअल फंड द्वारा प्रत्येक वर्ग में किया गया निवेश एक निश्चित न्यूनतम व अधिकतम स्तर के बीच रहना चाहिए।
इन्डेक्स फंड
इन्डेक्स फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड होता है जिसका पोर्टफोलियो किसी बाजार सूचकांक जैसे स्टैन्डर्ड एन्ड पुअर्स 500 इन्डेक्स (S&P 500) से मेल खाने या उन्हें ट्रैक करने के लिए बनाया जाता है। इन्डेक्स म्यूचुअल फंड अधिक व्यापक बाजार संपर्क प्रदान करता है, इसके प्रचालन व्यय कम होते हैं और पोर्टफोलियो टर्नओवर कम होता है। ये फंड कुछ निश्चित नियमों या मानकों पर स्थित रहते हैं (जैसे कुशल कर प्रबन्धन या ट्रैकिंग त्रुटियां घटाना) चाहे बाजार कैसी भी स्थिति में हों।
फंड ऑफ फंड्स:
“फंड ऑफ फन्ड्स” एक निवेश नीति है जिसमें स्टॉक, बॉन्ड या अन्य सिक्योरिटीज में सीधे निवेश करने की बजाय अन्य निवेश फंड का पोर्टफोलियो बनाकर रखा जाता है। इस प्रकार के निवेश को अक्सर मल्टी-मैनेजर निवेश कहा जाता है।
मनी मार्केट फंड/लिक्विड फंड
लिक्विट फंड वे साधारण डेट म्यूचुअल फंड हैं जो आपका पैसा अति अल्पकालिक बाजार उपक्रमों जैसे ट्रेजरी (राजकोषीय) बिल, सरकारी प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) और कॉल मनी (मांग पर उपलब्ध धन) में लगाते हैं जिनमें सबसे कम जोखिम होता है। यह फंड 91 दिन तक की परिपक्वता अवधि वाली उपक्रमों में निवेश कर सकते हैं। अधिकांश मामलों में परिपक्वता अवधि इससे कहीं कम होती है।
क्रेडिट फंड
क्रेडिट फंड एक प्रकार की डेट म्यूचुअल फंड स्कीम है जो अधिक ब्याज दर हासिल करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक जोखिम वाले कॉर्पोरेट बॉन्डों में निवेश करती है। टॉप रेटिंग वाले बॉन्डों के विपरीत, इसमें फंड मैनेजर आमतौर पर AA-, A+, A-, BBB, आदि रेटिंग वाली सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं।
टैक्स-सेविंग फंड
ये फंड मुख्यतः इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं। इन फंड में किए गए निवेश आयकर अधिनियम के तहत कटौतियों के योग्य होते हैं। इन्हें अधिक जोखिम वाला फंड माना जाता है पर अगर फंड अच्छा प्रदर्शन करे तो अधिक रिटर्न भी मिलता है।
भारत में म्यूचुअल फंड एक बेहद लोकप्रिय निवेश विकल्प बन चुके हैं और यह रुझान अभी-भी जारी है, बाजार में नए-नए फंड और स्कीम लगातार आ रही हैं। लोग म्यूचुअल फंड में निवेश क्यों करते हैं इसके कुछ मुख्य कारण नीचे दिए जा रहे हैं।
पेशेवर प्रबंधन
म्यूचुअल फंड का प्रबंधन, परिसंपत्ति प्रबंधन कम्पनियों के फंड मैनेजरों द्वारा किया जाता है। ये मैनेजर अपनी निवेश विशेषज्ञता का उपयोग करके निवेशकों का जोखिम कम करते हैं और रिटर्न अधिकतम करते हैं। वित्तीय जानकारी के अभाव में निवेशकों को प्रायः यह निर्णय लेना कठिन लगता है कि वे अपनी बचत किन परिसंपत्तियों में लगाएं।
जोखिमों का विविधीकरण
चूंकि फंड कई सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं इसलिए जोखिम विविधीकृत हो जाता है। एकसाथ सारे स्टॉक ख़राब प्रदर्शन करें इस बात की संभावना कम ही होती है। कुछ स्टॉक पर हुए नुकसान की भरपाई दूसरों पर हुए लाभ से हो जाती है। इससे जोखिम न्यूनतम हो जाता है।
किफ़ायती निवेश विकल्प
जिन लोगों के पास इक्विटी में, या अधिक शुरुआती निवेश की आवश्यकता वाले अन्य उपक्रमों में सीधे निवेश के लिए अच्छी-ख़ासी रकम नहीं है उनके लिए म्यूचुअल फंड एक किफ़ायती निवेश विकल्प हैं। साथ ही, लेनदेन की लागतें सभी निवेशकों पर बांट दी जाती हैं, इससे व्यक्तिगत लागतें कम हो जाती हैं।
केंद्रित निवेश
सभी म्यूचुअल फंड स्कीम स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करती हैं कि निवेश के लिए कौनसी परिसंपत्तियां उनके लक्ष्य हैं, इससे निवेशक एक व्यवस्थित और केंद्रित ढंग से अपनी बचत को दिशा दे सकते हैं। इससे निवेशकों को कुछ ऐसी सिक्योरिटीज तक पहुंच भी मिलती है जो अन्यथा उनके लिए अनुपलब्ध होती हैं, जैसे विदेशी क्षेत्र या विदेशी सिक्योटिरीज जिनमें वैयक्तिक निवेशक निवेश नहीं कर सकते हैं।
परिसंपत्तियों के विकल्प
कई प्रकार के फंड उपलब्ध हैं जैसे इक्विटी फंड, डेट फंड, मनी मार्केट फंड, हाइब्रिड फंड, सेक्टर फंड, रीजनल फंड, फंड ऑफ फन्ड्स, इन्डेक्स फंड आदि, जिससे निवेशकों को ढेर सारे विकल्प मिलते हैं।
खरीदना और भुनाना आसान
फंड यूनिट प्रचलित यूनिट मूल्य या एनएवी पर आसानी से खरीदी व बेची जा सकती हैं। बशर्ते कि लॉक इन अवधि न हो, निवेशकों के लिए फंड में पैसा लगाना और निकालना आसान होता है जिससे उन्हें तरलता मिलती है।
कर लाभ
कई फंड/स्कीम कर की बचत करने वाले उपक्रमों के रूप में कार्य करने के लिए तैयार की जाती हैं, जैसे ईएलएसएस यानि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम। इन स्कीमों में किया गया निवेश आयकर छूट का पात्र होता है।
अधिक रिटर्न
म्यूचुअल फंड से मध्यम और दीर्घकालिक निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलता है, क्योंकि निवेशक जोखिम का विविधीकरण करके संपूर्ण रिटर्न में वृद्धि कर सकते हैं।
विनियमित निवेश
सारे फंड सेबी (सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के दायरे में आते हैं जो सुनिश्चित करता है कि सारे लेन-देन विनियमों के अनुसार हों। इससे निवेश को सुरक्षा मिलती है।
आसान ट्रैकिंग
निवेशकों के लिए अपने निवेश पोर्टफोलियो की नियमित समीक्षा करना कठिन हो सकता है। म्यूचुअल फंड सारे निवेश का स्पष्ट विवरण प्रदान करते हैं जिससे निवेशकों के लिए उन पर नजर रखना आसान हो जाता है। हायब्रिड या बैलेंस्ड फंड निवेशकों को एक ही बार में, उनके मनचाहे अनुपात में इक्विटी और डेट फंड, दोनों के उपयोग की सुविधा देते हैं।
फंड स्विचिंग के जरिए लचीलापन
कई फंड निवेशकों को बेहतर अवधि/नियम और/या बेहतर रिटर्न पाने के लिए स्कीमों या फंड के बीच स्विच करने की सुविधा देकर लचीलापन देते हैं।
अपने लिए सबसे अच्छा फंड चुनते समय आपको अपने वित्तीय लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित व संगठित प्रक्रिया का अनुसरण करना चाहिए।
साथ ही, आपको स्कीम चुनने से पहले परिसंपत्ति आवंटन का कार्य पूरा कर लेना चाहिए। उदाहरण के लिए, कम जोखिम ले सकने वाले क्लाइंट के इक्विटी में सबसे बड़ा हिस्सा लार्ज कैप फंड का होगा। जोखिम लेने की क्षमता बढ़ने के साथ-साथ मिड कैप और स्मॉल कैप फंड पर विचार किया जा सकता है।
आप अपने लिए सबसे अच्छा म्यूचुअल फंड चुनने की पूरी प्रक्रिया यहां पढ़ सकते हैं। शुरुआत इस सूचनाचित्र (इन्फोग्राफिक) से करें:
नए लोग म्यूचुअल फंड में कैसे करें निवेश?
म्यूचुअल फंड निवेशकों की आसान पहुंच में होते हैं। जिसके लिए आवेदन निम्न विधियों से किए जा सकते हैं।
एजेंट
यह ऐसे पेशेवर होते हैं जो किसी कम्पनी के विभिन्न फंड के बारे में जानकारी देने के लिए ग्राहकों से संपर्क करने में प्रशिक्षित होते हैं। वे आवेदनों की प्रक्रिया और संबंधित कार्यों जैसे यूनिट भुनाना, कैंसल करना, ट्रांसफर करना एवं कम्पनी के साथ होने वाले अन्य व्यवहार को संभालने में मदद करते हैं। एजेंट का कमीशन, सामान्यतः 6% तक होता है, जिसे फंड यूनिटों को खरीदने की कीमत में जोड़ दिया जाता है।
डायरेक्ट
ग्राहक एजेंटों को दरकिनार करते हुए खुद स्कीम में आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए वे म्यूचुअल फंड कंपनी के नजदीकी ऑफिस जा सकते हैं या ऑनलाइन सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं। फॉर्म उपयुक्त ऑफिस से लेकर वहीं जमा किए जा सकते हैं या कम्पनी की वेबसाइट से डाउनलोड करके ऑफिस में जमा किए जा सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, आवेदन को ऑनलाइन भी प्रोसेस किया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड के लिए ऑनलाइन आवेदन करना
ऑनलाइन लेनदेनों की लोकप्रियता कई कारणों से लगातार बढ़ती जा रही है, जो इस प्रकार हैं। व्यक्ति अपने खुद के ऑफिस या घर से आराम से स्कीमों में आवेदन कर सकता है। कम्पनी की वेबसाइटों के अलावा, कई ऑनलाइन वित्तीय सेवा प्रदाता भी मौजूद हैं जो कई कम्पनियों के फंड एवं स्कीमों को देखने व उनकी तुलना करने के लिए एक सिंगल-पॉइंट पोर्टल का कार्य करते हैं।
एजेटों को दरकिनार करके, निवेश सस्ता हो जाता है क्योंकि खरीदने की लागत में कमीशन जुड़ा नहीं होता है। सारी जरूरी जानकारी, जिनमें ब्रोशर एवं अन्य सामग्री शामिल है, निवेशक के पढ़ने के लिए ऑनलाइन उपलब्ध रहती है। इससे निवेशक एजेंटों द्वारा अनुचित बिक्री से बच सकता है और सुविज्ञ व स्वतंत्र निर्णय ले सकता है।
हम आशा करते हैं कि अब तक आपको इस बारे में व्यापक जानकारी मिल गई होगी कि म्यूचुअल फंड कैसे कार्य करते हैं और आपके पैसे को बचाने और बढ़ाने में वे कैसे सहायता कर सकते हैं। अब आइए आपका परिचय कराते हैं हमारी ऐप से, जो भारत की सबसे सरल म्यूचुअल फंड निवेश ऐप है। भारतीयों को, विशेष रूप से भारतीय युवाओं को बचत करने, निवेश करने और समृद्धि की ओर आगे बढ़ने में मदद करने के हमारे अभियान के लिए हमें हाल ही में आउटलुक मनी द्वारा फीचर किया गया है।
हमारी ऐप सभी तरह के लोगों को निवेश करने में मदद देने के लिए डिजाइन की गई है, चाहे उन्हें म्यूचुअल फंड की बारीक जानकारी हो या नहीं। SIP सेट करना, या कोई भावी निवेश जैसे छुट्टियों की प्लानिंग, रिटायरमेंट फंड आदि सेटअप करने का कार्य Sqrrl में मात्र कुछ मिनटों में किया जा सकता है। आप हमारे कहने पर न जाएं, हमने यहां ऐप के कुछ छोटे-छोटे डेमो तैयार किए हैं। उन्हें देखें और हमें बताएं कि आप क्या सोचते हैं।
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Bohat Badiya Article. Bohat ache se btaya ap ne. Thank you so much
bahut badhiya sir . keep it up